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रात उतर आया चांद

रात उतर आया

चांद

कुछ ओस की

चमचमाती बूंदों संग..


अटका रहा

वो रात भर

छज्जे पर मेरे

बातें करने को मेरे संग..


ओस की

बूंदों में डूबा

और चमक रहा था पूरा

मखमली सा उसका बदन..


आंख मेरी

उलझी रही बस

देखती रही उसको तब्स

धड़कने भी मेरी चल रही थी मंद..!!


रात उतर आया

चांद

कुछ ओस की

चमचमाती बूंदों संग..!!


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