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तुम मुझसे होकर मुझमें रहना

मैं तुमसे होकर गुजर भी जाऊं

मगर तुम मुझसे होकर मुझमें रहना


मैं रहूंगा उन्हीं रास्तों पर बैठा हमेशा

मगर तुम भी बस उन्हीं से गुजरते रहना


मैं बैठूंगा तुम्हारी यादों के संग हमेशा

मगर तुम कभी कभी याद करते रहना


मैं दो ही कप लिया करूंगा चाय के हमेशा

मगर तुम बस आधी पी कर छोड़ते रहना


- शायर मलंग

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