जाने कितने
मैं
ज़िंदगी में
अब भी ज़िंदा हूँ
क्योंकि
अभी भी
जीने की जिद में हूँ
मैं
उठूँगी हर बार
गिरूँगी जितनी बार.!
जाने कितने
कुछ ख़्वाब रफ़ू करने हैं
जाने क्या क्या
बहुत कुछ सुना है मैंने
फ़ुर्सत की शाम
एक अरसे से
ये दिल एक चित्रकार है
कितनी भी कोशिश कर लो
मौका नहीं मिला
जरा मुस्कुरा तू.!!
तुम मुझसे होकर मुझमें रहना
आओ कुछ नया लिखते हैं
संस्कार खर्चे मांगने लगे हैं आजकल.,
खूबसूरत से भी ज्यादा
तुम अकेले नहीं हो
कुछ ऐसा है तू
तुमने मेरे लिए किया ही क्या है
जरूरी तुम हो