ख़ामोशी को चुना है मैंने
बहुत कुछ सुना है मैंने..
मैंने माँ की खामोशी सुनी है
बाप की मजबूरी सुनी है.,
मैंने लोगों की ज़रूरत सुनी है
मैंने गैरों की हैरत सुनी है.,
मैंने आँखों की बातें सुनी हैं
मैंने शामों की यादें सुनी हैं.,
मैंने बचपने की हँसी सुनी है
मैंने बूढ़ों की दुआएँ सुनी है.,
मैंने आत्मां की चितकार सुनी है
मैंने बेचैनी की गुहार सुनी है
मैंने मजबूरी बेबसी लाचारी सुनी है
मैंने सिसकियों की बातें सारी सुनी हैं
मैंने होटों पर महकती हँसी सुनी है
मैंने दर्द गम और खुशी सुनी है
दिलों की धड़कनों को सुना है मैंने.,
मन के भावों को सुना है मैंने
ख़ामोशी को चुना है मैंने
क्योंकि बहुत कुछ सुना है मैंने.!
लेखक - [ शायर मलंग ]
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