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दिल नहीं

Writer: Shayar MalangShayar Malang

रहने को मकाँ तो है

घर नहीं है.,


देने को दुआ तो है

रोटी नहीं है.,


गरीब ज़िंदा तो है

ज़िंदगी नहीं है.,


लोग कारोबारी तो हैं

परोपकारी नहीं है.,


ज़माना मर्म में तो है

शर्म नहीं है.,


समाज ज्ञानी तो है

समझदारी नहीं है.,


दिल में धड़कनें तो हैं

दिलदारी नहीं है.,


ज़िंदगी ये ज़िंदगी भी क्या.?

जिसमें दिल नहीं

जिसमें दिल नहीं.!

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Shayar Malang

मस्त हूँ ... मलंग हूँ ... फक्कड भी ..,

ईश्किया हूँ ... दिवाना हूँ ... घुमक्कड़ भी ...

मेरे शब्द सिर्फ शब्द भर नहीं हैं ..!!

These Are Not Only Words . . .     These Are Feelings . . .

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