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मौका नहीं मिला

Writer: Shayar MalangShayar Malang

उलझनें इतनी हैं कि सुलझाने का मौका नहीं मिला..

ये आख़री अल्फ़ाज़ होंगे ये कहने का मौका नहीं मिला.,


बातें इतनी थी कि करते करते एक उम्र निकल जाती..

वक्त अैसे फिसला की कहने का कभी मौका नहीं मिला.,


तेरी ज़ुल्फ़ें, तेरी निगाहें, आज भी मेरी आँखों में बसती हैं..

तुम कुछ इस तरह गए कि लौटाने का मौका नहीं मिला.,


सोचा था तुम्हारे ख़्वाबों को हक़ीक़त कर दूँगा एक रोज..

मगर इस ख़्वाब से बाहर आने का मौका नहीं मिला.,


तकल्लुफ़ एक हो तो बताऊँ मगर छोडो जाने भी दो

तुम्हारे बाद खुद से मुताल्लिक होने का मौका नहीं मिला.!!


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Shayar Malang

मस्त हूँ ... मलंग हूँ ... फक्कड भी ..,

ईश्किया हूँ ... दिवाना हूँ ... घुमक्कड़ भी ...

मेरे शब्द सिर्फ शब्द भर नहीं हैं ..!!

These Are Not Only Words . . .     These Are Feelings . . .

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