top of page
Writer's pictureShayar Malang

एक अरसे से

एक अरसे से खुलीं आँखों से मैंने उसे नहीं देखा..

कोई रात अैसी नहीं गुजरी जब मैंने उसे नहीं देखा.,


वो चेहरा, वो बातें और वो अदायगी उसकी..

मैंने इनके बाद कभी कोई और नहीं देखा.,


वो आकिल मेरी हर ग़ज़ल की पहचान बना रहा..

मैंने कभी जिसको अपनी महफ़िलों में नहीं देखा.,


वो कहता है मैं तेरे दिदार को तरसता बहुत हूँ..

मैंने जिसे अपने दिल के कभी बाहर नहीं देखा.,


बेजान बुत सा बना रहता हूँ उसके जाने के बाद मैं..

हर एक ने मुझे उसका बस उसने अपना नहीं देखा.!!


- शायर मलंग

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page