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फ़ुर्सत की शाम
फ़ुर्सत की एक शाम निकाल कर बैठो, यारों संग हर काम दिल से निकाल कर बैठो..
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एक अरसे से
पेश ए ख़िदमत है नई ग़ज़ल -
एक अरसे से खुली आँखों से मैंने उसे नहीं देखा, कोई रात अैसी नहीं गुज़री जब मैंने उसे नहीं देखा .!
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पूरानी मुस्कान
बचपन जो था वो ही सुकून से भरा था
मतलब की तलब नहीं थी
किसी चीज की फ़िक्र नहीं थी
सुकून था, ख़ुशी थी मुस्कान थी
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जरा मुस्कुरा तू.!!
जरा मुस्कुरा तू, सब कुछ बदल जाएगा, हिम्मत ए जिगरा जब रखेगा तू, तो बूंद बूंद से भी सागर भर जाएगा .!!
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संस्कार खर्चे मांगने लगे हैं आजकल.,
बाप वो शख्स है जो त्याग का प्रतीक है, बस आजकल उम्मीदों की भी उम्मीदें हो गई हैं.!!
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खूबसूरत से भी ज्यादा
आप जब किसी की खूबसूरती देखते हो, तो वो आपके दिल में होती है... भले वो दुनिया के लिए कैसा दिखता है मायने नहीं रखता.!!
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तुम अकेले नहीं हो
तुम अकेले नहीं हो जिसने दर्द महसूस किया है, मगर परिस्थितियां एक जैसी नहीं थी, ना कभी रहेंगी !!
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SOCIAL MEDIA CORNER [ Shayar Malang | Writer | Lyrical Emotions ]
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