Shayar Malangएक अरसे सेपेश ए ख़िदमत है नई ग़ज़ल - एक अरसे से खुली आँखों से मैंने उसे नहीं देखा, कोई रात अैसी नहीं गुज़री जब मैंने उसे नहीं देखा .!
Shayar Malangपूरानी मुस्कानबचपन जो था वो ही सुकून से भरा था मतलब की तलब नहीं थी किसी चीज की फ़िक्र नहीं थी सुकून था, ख़ुशी थी मुस्कान थी
Shayar Malangजरा मुस्कुरा तू.!!जरा मुस्कुरा तू, सब कुछ बदल जाएगा, हिम्मत ए जिगरा जब रखेगा तू, तो बूंद बूंद से भी सागर भर जाएगा .!!
Shayar Malangसंस्कार खर्चे मांगने लगे हैं आजकल.,बाप वो शख्स है जो त्याग का प्रतीक है, बस आजकल उम्मीदों की भी उम्मीदें हो गई हैं.!!