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संस्कार खर्चे मांगने लगे हैं आजकल.,

Writer's picture: Shayar MalangShayar Malang

गजब के हादसे होने लगे हैं आजकल.,

संस्कार खर्चे मांगने लगे हैं आजकल.,


जरा सोचना उस बाप के कंधे के बारे में

जो दुनिया घूमते थे, झुक गए हैं आजकल.,


खर्चा किया नहीं की उम्मीदों को पालना था

उन उम्मीदों की उम्मीदें हो गई हैं आजकल.,


बूढ़ी आंख आज भी रोती नहीं है सब देख कर

आंसुओं के भी अपने खर्चे हो गए हैं आजकल.,


इंतजार में हैं की आंख लग जाए सो जाएं बस

सुना है सपनों के भी मोल लगते हैं आजकल.,


तेरी उम्मीद मेरी उम्मीद की तरह ना उम्मीद न हो

वो कांपते हाथ ऐसी दुआ करते हैं आजकल.,


कभी तो बड़े होंगे पौधे वो भी जो अब लगाए हैं

उनकी तासीर के बारे में वो कहां सोचते हैं आजकल.,


मलंग बड़ी ही बेगैरत हो गई है ये खुदगर्ज दुनिया

परिवार में मां बाप को कहां गिनते हैं आजकल.!!


- शायर मलंग


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कोई है जो मेरे लिए दुआ कर दे., कोई है जो सब किए का सफ़ा कर दे, कोई है .....

3 Comments


ashmita singh
ashmita singh
Apr 12, 2021

वाह

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satendra singh
satendra singh
Apr 12, 2021

Fact hai bhai

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Dinesh Kumar
Dinesh Kumar
Apr 12, 2021
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जी भाई

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Shayar Malang

मस्त हूँ ... मलंग हूँ ... फक्कड भी ..,

ईश्किया हूँ ... दिवाना हूँ ... घुमक्कड़ भी ...

मेरे शब्द सिर्फ शब्द भर नहीं हैं ..!!

These Are Not Only Words . . .     These Are Feelings . . .

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