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कुछ ऐसा है तू

हवाओं के साज जैसा तू

दुआओं के अल्फाज जैसा तू


मुस्कुराहटों में खुशबू सा है तू

यादों में ख़्वाब सा है तू


बहारों में रंग सा है तू

दिल में उमंग सा है तू


सुबह की ताजगी सा है तू

शाम की खूबसूरती सा है तू


बांसुरी के संगीत सा है तू

मीरा के गीत सा है तू


गीता के शलोक सा है तू

राधा के व्योग सा है तू


इत्र में महक सा है तू

बचपने की चहक सा है तू


सबके लिए कुछ अलग सा है तू

इश्क़ कुछ कुछ मेरे जैसा है तू.!!


✍️ शायर मलंग

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