तुम जरा सी कम खूबसूरत होती
तो भी बला की खूबसूरत होती
होता चांद तब भी दीवाना तेरा
और तुम बस चांदनी सी होती
ये हवाएं तब भी चूमती तुमको
और रोशन तुम्हीं से ये रोशनी होती
तुम जरा....
मुस्कुराती कायनात तुम्हें देख कर
और तुम ही से रंगीन सारी वादियां होती
झूम उठता आसमां भी तेरे संग
और ये बूंदें तेरे संग नाचती गाती
तुम जरा ....
दिल ढूंढता झूमता पागल बन घूमता
तू जब भी मुझे नजर भर देखती
तेरे रक्शे इश्क़ को मेरी दुआ होती
और तुम आयत सी मेरी जुबां पर होती
तुम जरा....
भले ही पूर्वा पश्चिम से नहीं चलती
मगर हां तुमको छुए बिना नहीं निकलती
भले ही दिन कितने भी छोटे हो जाते
मगर
शाम तुमसे पूछे बिना नहीं ढलती
तुम जरा....
वक़्त यूं ही चलता रहता हर घड़ी
मगर दोपहर फिर भी तेरे से मिलने आती
गुजरने को तो रात गुजर जाती यूं भी
तेरे से मिल कर चांदनी फिर भी जाती
तुम जरा....
लेखक : शायर मलंग
so beautiful😍
शुक्रिया अम्मू
Superb