चलो कुछ लिखते हैं.,
जेठ की तपती दोपहरी में
बाप का जलता बदन
लूह के गरम थपेड़ों में
मां के चूल्हे का मर्म
चलो कुछ लिखते हैं
छोड़ते हैं इश्क मोहब्बत
की सारी मतलबी बातें
आओ आज दोस्तों का
बेमतलबी प्यार लिखते हैं
तोड़ के सारे गीले शिकवे
दोस्ती की बहार लिखते हैं
आओ कुछ लिखते हैं
चलो कुछ लिखते हैं
एक बहन की आंखों का
सपना लिखते हैं
छोटे भाई के दिल का
बचपना लिखते हैं
चाचा चाची की
वो फटकार लिखते हैं
उसमें उनका
दुलार लिखते हैं
चलो कुछ लिखते हैं
आओ कुछ लिखते हैं
ताऊ का घूमना
ताई का प्यार जताना
कुनबे की छोटी मोटी
नोक झौंक
और खट्टी मीठी बातों का
एक गुलीचा बुनते हैं
आओ मलंग आज
कुछ नया लिखते हैं
चलो कुछ अटपटा लिखते हैं
भूल गए जो अपने
उनसे मिलते हैं
कुछ बिसरी यादों का
पुलिंदा गढ़ते हैं
आओ उबालो चाय
चलो सबको बुलाया जाए
फिर कुछ नई
कहानियां गढ़ते हैं
और कुछ पुरानी
परतें उधेड़ते हैं
आओ मलंग कुछ नया लिखते हैं
चलो यारों कुछ नया करते हैं!!
- शायर मलंग
Kommentare