मैं
तुमसे कह तो दूं
क्या तुम रह पाओगे
शायद मेरे जाने के बाद
मुझको भुला ना पाओगे
रोक लेता हूं
खुद को ही मैं
तेरे मेरे लड़ने से
बात ना करने से
इसलिए रूठता नहीं मैं
तुझको ही मना लेता हूं मैं
शायद डरता हूं मैं
जाने मेरे बिना कैसे तुम रह पाओगे
यूं तो
कुछ भी नहीं हूं
ज्यादा या थोड़ा
पता नहीं बचा कितना हूं
मगर जानता हूं
की मेरे जाने के बाद
खुद को माफ नहीं कर पाओगे
शायद डरता हूं मैं
जाने मेरे बिना कैसे तुम रह पाओगे
ख़्वाब ख्याल यादों में
भले मैं हूं या ना हूं
ना सही
ज़िन्दगी में कोई जगह
रखता हूं या ना रखता हूं
ना सही
मगर अपने दिल से
सच बताओ... मिटा पाओगे
शायद डरता हूं मैं
जाने मेरे बिना कैसे तुम रह पाओगे
हक, हक़ीक़त, हद, और सरहद
ना जाने क्या क्या
जहन मेरा भी पूछता है मुझसे
करता क्यूं हूं
रखता क्यू हूं
इतना ख्याल तेरा पूछता है मुझसे
मेरी तरह क्या अपने दिल को
पागल बना पाओगे
शायद डरता हूं मैं
जाने मेरे बिना कैसे तुम रह पाओगे
सूरज चांद रोशनी और चांदनी
दुआ सलाम मन्नत ओर बंदगी
सब कर लेता हूं
ऊपर वाले से भी लड़ लेता हूं
तेरे चहरे पर मुस्कान लाने को
खुद को पागल कर लेता हूं
क्या मेरे दिल सा तुम दिल रख पाओगे
शायद डरता हूं मैं
जाने मेरे बिना कैसे तुम रह पाओगे
शब्द, शेर, ग़ज़ल या कहानी कोई
झूटी मूटी सी बातें कई
तुमको सुनाने को
बस हंसाने को
बनाता हूं कविता रोज नई
क्या मेरे शब्दों को
दिल के हरफों को
कभी भुला पाओगे
शायद डरता हूं मैं
जाने मेरे बिना कैसे तुम रह पाओगे
वक़्त का क्या पता
मैं रहूं ना रहूं
दिन रहें रात रहें या ना रहें
एक बात जो रहेगी सदा
तेरे लिए मेरी दुआ
जबतक सांसों की आवाज है
धडकनों में सरगम है
मेरे जिस्म में दम है
मुझको बस अपना ही पाओगे
शायद डरता हूं मैं
जाने मेरे बिना कैसे तुम रह पाओगे
मैं
तुमसे कह तो दूं
क्या तुम रह पाओगे
शायद मेरे जाने के बाद
मुझको भुला ना पाओगे
इसलिए डरता हूं मैं
जाने मेरे बिना कैसे तुम रह पाओगे ।।
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